सिंधिया राजघराने के द्वारा ग्वालियर से शिवपुरी के बीच शुरू की गई नैरोगेज मालगाड़ी की एक बोगी को सीएनडब्ल्यू विभाग के द्वारा करीब 6 माह पहले नागपुर से क्षतिग्रस्त हालत में लाकर उसे पूर्व की तरह मॉडीफाई कर पुराने लोको यार्ड में रखा गया है, जिसका सोमवार को रेलवे के जीएम लोकार्पण करेंगे।
बताया जा रहा है कि इस बोगी काे पहले सिंधिया घराना उपयोग करता था। बाद में अंग्रेज और उसके बाद जनता के सामान को लाने ले जाने में इसका उपयोग किया जाने लगा था। बाद में मीटर गेज और अब ब्रॉड गेज ट्रेनें चलने के कारण नेरोगेज करीब 50 साल पहले बंद हो गई थी। यह बोगी नेरोगेज की है जो सबसे पुरानी है। जिसे माॅडीफाई कर रेलवे द्वारा बोगी को धरोहर के रुप में रखा गया है। यह स्थान सेल्फी प्वांइट के रूप में भी विकसित होगा।
जानकारी के अनुसार, सन् 1879 में सिंधिया राजघराने ने अपने सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए ग्वालियर स्टेट रेलवे की शुरुआत की गई थी, जिसे ग्वालियर से शिवपुरी तक नेरोगेज के रूप में चलाया गया था। उस समय की करीब 120 वर्ष पुरानी बोगी को 6 माह पहले नागपुर से लाकर बोगी का मरम्मत कार्य करने के बाद उसे मॉडीफराई किया गया है ।
रिपिड का हुआ उपयोग
बोगी को सहायक मंडल यांत्रिकी इंजीनियर केके सिंह,सीनियर सेक्शन इंजीनियर एसके गौर, रवि शर्मा एवं कैरिज बैगन स्टॉफ के द्वारा 6 माह में तैयार की गई है। जिसे पूर्व की तरह बेल्डि़ग का उपयोग न करते हुए उसमें रिपिड का उपयोग किया गया है। बाद में उसमें उसी समय के चक्के एवं रंगाई, पुताई के बाद उसे तैयार किया गया। जिसका वजन करीब 1 टन है। बोगी को तैयार करने के बाद अलग से नेरोगेज की लाइन बिछाई गई और रविवार शाम करीब 6 बजे 140 टन की क्रेन से उसे उठाकर बनाए गए स्थान पर रखा गया है। जिसका आज जीएम के द्वारा उद्घाटन किया जाएगा।